खबरें अभी तक। गुजरात के डिप्टी सीएम नितिन पटेल की प्रेस कॉन्फ्रेंस में नाराजगी साफ नजर आई. शपथ लेने के बाद मुख्यमंत्री विजय रुपानी को पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी थी. लेकिन डिप्टी सीएम नितिन पटेल की कुर्सी सीएम की कुर्सी से बहुत नीचे थी. जब पटेल ने इसका विरोध किया तो सीएम ने स्टाफ से पटेल की कुर्सी का लेवल बढ़ाने का आदेश दिया. यह ”कुर्सी हादसा” काफी हास्यास्पद भी रहा, क्योंकि इससे मुख्यमंत्री और उनके डिप्टी के बीच तनातनी साफ नजर आई. पार्टी में इस वक्त दो धड़े हैं. पहला मुख्यमंत्री नितिन पटेल और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का है, जो व्यापारी समुदाय (बनिया) से हैं. दूसरा धड़ा नितिन पटेल का है, जो पटेल समुदाय से आते हैं. इस बिरादरी से पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल भी हैं.
अमित शाह ने सोचा था कि नितिन पटेल से वित्त मंत्रालय का पोर्टफोलियो लेना आसान होगा, लेकिन यहां वह चारों खाने चित हो गए. बीजेपी के 99 विधायकों में से 30 प्रतिशत पटेल हैं. अटकलें इसी बात को लेकर हैं कि अब बनिया, जिन्हें अपनी मूंछें झुकाने में कोई परेशानी नहीं है, भले ही आखिरी बात उन्हीं की मानी जाए या फिर पटेल जो हमेशा अपनी मूंछें ऊपर रखते हैं, में से कौन सत्ता की लड़ाई में बाजी मारेगा. अहम बात यह भी है कि केरल के आईएएस अफसर के. कैलाशनाथन, जो पीएम मोदी के करीबी माने जाते हैं, उन्हें विधानसभा चुनावों के बाद दिल्ली बुलाया गया था, वह रिटायरमेंट के बाद भी गुजरात के चीफ प्रिंसिपल सेक्रेटरी का पदभार संभालेंगे. कैलाशनाथन भी एक प्रमुख शक्ति केंद्र हो सकते हैं.