पीढ़ी परिवर्तन की सियासत में, सीएम ने खेला इमोशनल कार्ड

खबरें अभी तक। हिमाचल की राजनीति में धूमल और वीरभद्र की सियासी जंग के अंत के बाद पहली बार तपोवन के सदन में पीढ़ी परिवर्तन की सियासत शुरू हुई। दो दशक के बाद सदन में भाजपा और कांग्रेस ने नए सियासी रिश्तों के सहारे आगे की राजनीतिक पारी का आगाज किया।  मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और नेता विपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने मिलकर राजनीतिक रिश्तों पर जमी पुरानी सियासी बर्फ को पिघलाने का दांव चला। अब सियासी मोर्चे पर सत्ता और विपक्ष के तेवर इन दोनों नेताओं की सियासी सूझबूझ पर टिके हैं।

इसकी शुरुआत विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव से हो गई है। कांग्रेस विधायक दल ने राजीव बिंदल का समर्थन कर सत्ता पक्ष से नेता प्रतिपक्ष का दर्जा हासिल करने का दांव चल दिया है, जबकि जयराम की असल परीक्षा राष्ट्रपति अभिभाषण पर होने वाली चर्चा में विपक्ष को शांत रखने से होगी।

नेता विपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने भी बेवजह सरकार को न घेरने की बात कहकर सत्ता पक्ष के समक्ष दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया। वहीं, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी सत्ता पक्ष और विपक्ष में नई पीढ़ी के आगाज की बात कहकर रचनात्मक सहयोग से सरकार को चलाने की पिछले दो दिन से दुहाई देते दिखे।

जयराम और मुकेश को अब 23 नए विधायकों की एंट्री और पुराने दिग्गजों की विदाई नए सियासी समीकरणों के मुफीद दिख रही है। उधर, चार दिन के सत्र के पहले दिन सदस्यों के शपथ ग्रहण के दौरान माहौल खुशनुमा रहा। सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता एक-दूसरे से गले मिलते दिखे।

अंदर का दोस्ताना माहौल मंगलवार रात को दोनों ओर के विधायक दलों की बैठक में तय हुई सोची-समझी सियासत का हिस्सा बन गया। चार दिन के सत्र में अगले दो दिन बेहद अहम हैं।

भाजपा की रणनीति विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से करवाने के साथ राज्यपाल के अभिभाषण की चर्चा के दौरान विपक्ष को शांत रखने की चुनौती है। जयराम सरकार ने इसके लिए रणनीति तय कर दी है।

उन्होंने नेता विपक्ष मुकेश अग्निहोत्री से चर्चा भी की। मुकेश ने भी सदन में सार्थक विपक्ष की भूमिका निभाने का वादा किया। उन्होंने इसका जिक्र सदन से बाहर भी किया। विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस राजीव बिंदल के मुकाबले में कोई उम्मीदवार नहीं उतार रही है।

इतना ही नहीं बिंदल के पक्ष में मुकेश भी प्रस्ताव देंगे। इसकी एक वजह वर्ष 2012 में बृज बिहारी लाल बुटेल के खिलाफ भाजपा के कोई प्रत्याशी नहीं उतारने से जोड़कर देखा जा रहा है।

कांग्रेस की साख से जुड़ा नेता प्रतिपक्ष का दर्जा
नेता प्रतिपक्ष का दर्जा असल में कांग्रेस की साख से जुड़ गया है। कांग्रेस अब इस इंतजार में है कि भाजपा उनके विधायक दल के नेता को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा दे जिस पर जयराम सरकार रचनात्मक सहयोग के वादे के अलावा अभी अपने पत्ते खोलने को तैयार नहीं दिख रही।